कौन था मुख्तार अंसारी और कैसे बना पूर्वांचल का सबसे बड़ा माफिया डॉन | एक क्लिक में जानें मुख्तार की पूरी जीवनलीला
डेली न्यूज़ | mirror
गाजीपुर | वृहस्पतिवार, 28 मार्च 2024
बांदा जेल में सजा काट रहे UP के कुख्यात डॉन मुख्तार अंसारी का बांदा मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान आज शाम 8:25 पर हार्ट अटैक के चलते निधन हो गया। आइए जानते हैं मुख्तार के बारे में विस्तार से।
कौन था मुख्तार अंसारी: मुख्तार अंसारी का जन्म उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था। मुख्तार का जन्म एक प्रतिष्ठित राजनीतिक घराने में हुआ था। उसके पिता का नाम शुबहानउल्लाह अंसारी तथा माता का नाम राबिया था।
मुख्तार के परिवार का गौरवशाली इतिहास: मुख्तार के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी एक स्वतंत्रता सेनानी थे, स्वतंत्रता की लड़ाई में गांधी जी के साथ काम करते हुए वे कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर भी विराज हुए थे। मुख्तार के नाना मोहम्मद उस्मान जो की भारतीय सेना में ब्रिगेडियर के पद पर काबिज थे, 1947 में उनके बलिदान के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामीद अंसारी रिश्ते में मुख्तार के चाचा लगते थे। मुख्तार के अब्बू शुबहानउल्लाह गाजीपुर क्षेत्र में एक सम्मानित और साफ सुथरी छवि रखते थे।
मुख्तार का बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन में राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी है, जो भारत के टॉप 10 शूटर्स में अपना स्थान रखता है। उसने दुनिया भर में पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया है। परंतु अब वह भी अपने पिता के अपराधों की सजा भुगत रहा है, उसपर मनी लांड्रिंग का केस चल रहा है।
मुख्तार अंसारी कैसे बना माफिया डॉन: इतने सम्मानित और देशभक्त परिवार से ताल्लुक रखने वाला मुख्तार अंसारी पिछले 17 सालों से देश के विभिन्न जेलों में सजा काट रहा था। मऊ और गाजीपुर इलाके में उसकी तूती बोलती थी। लोगों में उसने अपनी छवि रॉबिनहुड वाली बना रखी थी वो अमीरों से धन लूटता था तो गरीबों में खुलकर दान भी करता था। उसने अपने क्षेत्र के ठेकेदारी, शराब, खनन, स्क्रैप इत्यादि पर अपना कब्जा जमा रखा था। मुख्तार अपने इलाके के विकास कार्यों पर निधि से कई गुना ज्यादा पैसा खर्च करता था जिससे उसके क्षेत्र में उसका दबदबा हमेशा कायम रहा।
मुख्तार का राजनीतिक सफर: मुख्तार BJP को छोड़कर लगभग सभी बड़ी पार्टियों में शामिल रहा था। वह लगातार 24 सालों तक यूपी के विधानसभा का हिस्सा रहा। पहली बार BSP के टिकट पर 1996 में जीत दर्जकर वह विधानसभा पंहुचा फिर उसके बाद 2002, 2007, 2012, 2017 में भी उसने मऊ से जीत हासिल की। अंतिम के 3 चुनाव उसने देश के विभिन्न जेलों में रहते हुए जीते। 2005 में कृष्णानंद राय हत्या मामले में मुख्तार का नाम आने के बाद से उसके दुर्दिन शुरू हो गए थे।
मुख्तार का परिवार:
मुख्तार के सभी अपराधों में गवाहों की कमी के कारण उसपर कभी कठोर कार्यवाही नही हो सकी थी लेकिन प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद से लगातार उसपर शिकंजा कसता गया। और अंततः सजा काटने के दौरान आज उसकी मृत्यु हो गई। और इसी का साथ उसके अपराधो की फाइल भी बंद हो चुकी है।
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