जानें विंध्याचल मंदिर का इतिहास, महत्व और पौराणिक कथा के बारे में सब कुछ
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विंध्याचल, मिर्जापुर | बुधवार, 10 अप्रैल 2024 | शक्तिधर
विंध्याचल मंदिर, जो माँ विंध्यवासिनी को समर्पित है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मिर्जापुर जिले में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म की नव देवियों में से एक और 51 शक्तिपीठों में शामिल है। इस पवित्र स्थान पर अनेक सिद्ध तपस्वियों ने तपस्या की है और यह त्रिशक्तियों महालक्ष्मी, महाकाली और देवी सरस्वती का निवास स्थान माना जाता है।
मान्यताएं
मान्यता है कि देवी पार्वती ने इसी स्थान पर तपस्या करके भगवान शिव को प्राप्त किया था। भगवान राम ने भी यहाँ के गंगा घाट पर अपने पितरों को श्राद्ध अर्पण किया था और रामेश्वर लिंग की स्थापना की थी। विंध्याचल धाम में विंध्यवासिनी, अष्टभुजा और काली खोह जैसे अन्य मंदिर भी हैं, जिनके दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं।
मान्यता के अनुसार, देवी पार्वती ने यहाँ तपस्या करके भगवान शिव को प्राप्त किया था, और भगवान राम ने भी यहाँ गंगा घाट पर अपने पितरों को श्राद्ध अर्पण किया था। इसके अलावा, विंध्याचल तपोवन में भगवान विष्णु को उनके सुदर्शन चक्र की प्राप्ति हुई थी।
नवरात्रि के अवसर पर दृश्य
नवरात्रि के अवसर पर यहाँ का दृश्य अत्यंत मनोरम होता है, जब पूरे शहर को दीयों, मंत्रों और फूलों से सजाया जाता है। यह पर्वतीय क्षेत्र अपनी यश गाथा चारो दिशाओं में फैला रहा है और इसकी धार्मिक महत्वता गंगा नदी के निकट होने से और भी बढ़ जाती है।
मंदिर का इतिहास
विंध्याचल मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और धार्मिक महत्व से भरा हुआ है। यह स्थान महर्षियों, योगियों, और तपस्वियों की श्रद्धा और आस्था का केंद्र रहा है। विंध्याचल में अनेक मंदिर हैं जो इसकी प्राचीनता की पुष्टि करते हैं।
विंध्याचल मंदिर का इतिहास भारतीय प्राचीन ग्रंथों जैसे मार्कंडेय पुराण, मत्स्य पुराण, महाभारत, वामन पुराण, देवी भागवत, राजा तरंगिनी, बृहत् कथा, हरिवंश पुराण, स्कंद पुराण, कदंब्री और कई तंत्र शास्त्र में भी उल्लेखित है। इन ग्रंथों में देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन मिलता है।
विंध्याचल मंदिर की विशेषता यह है कि यह देवी सती के बाएं पैर के अंगूठे के गिरने के स्थान पर स्थित है, जिसे शक्तिपीठ के रूप में माना जाता है। यहाँ की यात्रा करने वाले भक्तों का मानना है कि इस स्थान पर तप करने से सिद्धि प्राप्त होती है।
विंध्याचल मंदिर के साथ आस-पास के प्रमुख स्थल
माँ विन्ध्यवासिनी मंदिर: यह मंदिर देवी विन्ध्यवासिनी को समर्पित है और यहाँ का मुख्य आकर्षण है।
अष्टभुजा मंदिर: यह मंदिर देवी दुर्गा के अष्टभुजा स्वरूप को समर्पित है।
काली खोह मंदिर: यह मंदिर देवी काली को समर्पित है और यहाँ देवी की एक गुफा में प्रतिमा स्थापित है।
सीता कुंड: यह एक पवित्र स्थान है जहाँ सीता माता ने स्नान किया था।
गंगा घाट: विंध्याचल के गंगा घाट भी दर्शनीय हैं और यहाँ धार्मिक क्रियाएँ जैसे पूजा और आरती होती हैं।
ये स्थल विंध्याचल की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं और यहाँ आने वाले तीर्थयात्री इन स्थलों के दर्शन करके आध्यात्मिक शांति प्राप्त करते हैं। यदि आप विंध्याचल धाम की यात्रा कर रहे हैं, तो इन स्थलों का भ्रमण अवश्य करें।
विंध्याचल मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्रा विकल्प
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो वाराणसी में स्थित है और विंध्याचल से लगभग 72 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग: विंध्याचल रेलवे स्टेशन यहाँ का निकटतम रेलवे स्टेशन है और यहाँ से मंदिर की दूरी लगभग 1 किलोमीटर है। मिर्जापुर रेलवे स्टेशन भी एक विकल्प है, जो मंदिर से 10 किलोमीटर दूर है।
सड़क मार्ग: विंध्याचल सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप वाराणसी, प्रयागराज या मिर्जापुर से बस, टैक्सी या ऑटो द्वारा यहाँ पहुंच सकते हैं।
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