भारत के लिए सेमीकंडक्टर का हब बनना आसान नहीं, वैश्विक केंद्र बनने की राह में कई चुनौतियां

भारत के लिए सेमीकंडक्टर का हब बनना आसान नहीं, वैश्विक केंद्र बनने की राह में कई चुनौतियां

डेली न्यूज मिरर

नई दिल्ली | 08 मार्च 2024 | अंकित कुमार (सिविल सेवा अभ्यर्थी)

भारत सेमीकंडक्टर डिजाइन निर्माण और प्रौद्योगिकी विकास का वैश्विक केन्द्र बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इसी के तहत बीते 29 फरवरी को भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्वनी वैष्णव ने सेमीकंडक्टर प्लॉट स्थापित करने के लिए 1.26 ट्रिलियन रुपये की धनराशि को स्वीकृति प्रदान की है। भारत में पहला सेमीकंडक्टर प्लांट गुजरात के धोलेरा मे जिसे टाटा इलेक्ट्रोनिक्स और ताइवान की पॉवरचिप सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग कॉरपेरेशन (PSMC), दूसरा गुजरात के साणंद में जिसे सीजी पावर और जापान की रेनेसा और तीसरा असम के मोरीगांव में जिसे टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड बनायी गई। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो अगले 100 दिनों में इनका निर्माण कार्य प्रारम्भ हो जायेगा। 

आपको बता दें कि इन तीन सेमीकंडक्टर प्लांट्स के अलावा अमेरिका की कंपनी माइक्रोन ने भी भारत में एक चिप असेंबली प्लांट के लिए 22,516 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो ग्लोबल सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग में भारत की स्थिति को मजबूत करती है। सेमीकंडक्टर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स की नीव है। इसकी चालकता सुचालको और कुचालको के मध्य होती है। इनका निर्माण सिलिकॉन, जर्मेनियम, गैलियम, आर्सेनाइड या कैडमियम सेलेनाइड जैसे पदार्थों से होता है। ये आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी उत्पादों के अभिन्न अंग हैं, जो उनके हृदय और मस्तिष्क के रूप में कार्य करते है।

सेमीकंडक्टर का उपयोग एयरोस्पेस ,ऑटोमोबाइल, संचार, स्वच्छ ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी और चिकित्सा उपकरणों सहित अर्थव्यवस्था के लगभग हर क्षेत्र में है। भारत का वर्ष 2022 में सेमीकंडक्टर उद्योग 27 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। इसमें 90 प्रतिशत से अधिक का आयात चीन, ताइवान, अमेरिका, जापान आदि देशों से किया गया था। वही 2026 में यह 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर तथा 2030 तक 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर पार करने की उम्मीद है।

भारत जैसे देश में सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए उच्च निवेश की कमी, सरकार से न्यूनतम वित्तीय सहायता, क्षमता निर्माण की कमी, संसाधन अकुशल क्षेत्र, अत्यंत महँगा फैब्रिकेशन सेटअप आदि चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। परंतु सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए उत्पादन लिक्ड प्रोत्साहन(PLI), डिजाइन लिंक्ड इंसेटिव(DLI), इलेक्ट्रानिक घटकों और सेमीकडक्टरों के विनिर्माण संबर्द्धन की योजना (SPECS) आदि अन्य पहलों की शुरूआत की है। इसके बाबजूद भी भारत के लिए सेमीकंडक्टर डिजाइन निर्माण और प्रौद्योगिकी विकास का वैश्विक केन्द्र बनने की राह आसान नहीं होने वाली।।