पाकिस्तान के किताबों में भारत के बारे में क्या पढ़ाया जाता है, जानकर चौंक जाएंगे आप!

पाकिस्तान के किताबों में अंग्रेजों की लड़ाई को बताया हिंदू- मुस्लिम की लड़ाई

पाकिस्तान के किताबों में भारत के बारे में क्या पढ़ाया जाता है, जानकर चौंक जाएंगे आप!

डेली न्यूज मिरर

नई दिल्ली (21 फरवरी 2024)

सन 1947 में आजादी से पहले पाकिस्तान और हिंदुस्तान में एक ही किताबें पढ़ी जाती रही है। आजादी के बाद पाकिस्तान के किताबों में बड़े बदलाव किए गए। 1958 में अयूब खान के सरकार के आने के बाद यह ऐलान किया गया कि पाकिस्तान के सारे स्कूलों में सरकारी किताबें ही पढ़ाई जा सकेंगी। पाकिस्तान के इतिहास में तमाम धर्मो के लोगो का शासन और स्थाई निवास होने के बावजूद इन नए किताबों का विषय केवल एक बिंदु की ओर केंद्रित है , जिसमे शीर्षक दिया गया है उपमहाद्वीप में इस्लाम धर्म का विकास।

अंग्रेजों की लड़ाई को बताया हिंदू -मुस्लिम की लड़ाई

1965 के बाद जो किताबें लिखी गई उसमे आजादी की लड़ाई को अंग्रेज- भारतीय की लड़ाई न मानकर हिंदू- मुस्लिम की लड़ाई माना गया है। कांग्रेस के बारे में लिखा है कि बहुत से भारतीयों ने मिलकर राष्ट्रीयता की मांग उठाई,ये सबलोग धर्म से हिंदू थे।इंडियन नेशनल कांग्रेस महज एक हिंदू राजनैतिक पार्टी बनकर रह गई।लेकिन असलियत में कई बड़े मुस्लिम नेता कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। यहां तक की कई मुस्लिम नेताओं ने पाकिस्तान की मांगी का विरोध किया और मुस्लिम लिग के गठन का भी विरोध किया।

वही दूसरी ओर आजादी के महान भागीदार रहे महात्मा गांधी के बारे में बताया गया है कि भले ही उन्हे मुसलिमपरस्त कहकर मार डाला गया,लेकिन असल में वो हमेशा बहुसंख्यक हिंदुओं के पक्ष में काम करते रहे,और मुस्लिमो के अधिकारों को नकारते रहे। किताब में जितनी बार गांधी का जिक्र आता है, उन्हे हिंदू नेता कहकर संबोधित किया जाता है।

पाकिस्तानी इतिहासकार ने क्या कहा

पाकिस्तान के एक इतिहासकार ने मीडिया चैनल से बात करते हुए बताया कि हमारे किताबों में तारीखें कम घटनाएं ज्यादा पढ़ाई जाती है। यूं कहे कि तारीखों का जिक्र होता भी है तो हमारे कैलेंडर के अनुसार न होकर अरब और तुर्की के कैलेंडर के अनुसार होता है। उन्होंने आगे बताया कि हमारे किताबों में जिन मुख्य किरदारों का जिक्र किया गया है वो भी हमारे मुल्क के नही है बल्कि बाहरी अक्रमणकारी रहे मोहम्मद बिन कासिम को बनाया गया है। हमारे किताबों में अरब देशों के आदर्शो का पालन किया जाता है।

पाकिस्तानी इतिहासकार के अनुसार हमारे इतिहास की किताबो में मुख्य बदलाव जुल्फिकार अली भुट्टो के समय आया। उन्होंने हमारे सिलेबस में पाकिस्तान स्टडीज और मुस्लिम स्टडीज नामक दो नए अध्याय जोड़। इस नए अध्याय में इतिहास को बड़े ही सुनियोजित तरीके से पेश किया गया है। 1971 में पाकिस्तान से अलग हुए बांग्लादेश का जिम्मेदार भारत को ठहराया गया है। लेकिन इसके कारणों को उलट दिया गया है। कारण बताते हुए किताब में लिखा हैं कि पूर्वी पाकिस्तान में हिंदुओं की अच्छी खासी तादात थी, हिंदुओं ने पाकिस्तान को कभी स्वीकार नहीं किया। वह स्कूल, कॉलेज में पाकिस्तान के बारे में निगेटिव बातें पढ़ाते थे। लेकिन वास्तव में बांग्लादेश का पाकिस्तान से अलग होना धार्मिक मुद्दा नहीं बना बल्कि भाषा को लेकर दोनो देश एक दूसरे से अलग हो गए थे।

पाकिस्तानी इतिहासकार के अनुसार पाकिस्तानी हुकुमरान अपने बच्चों को शुरुआत से बस एक बात समझाना चाहते थे। वह देश धर्म के आधार पर बना है,धर्म ही पहचान है और कोई पहचान मायने नहीं रखती है। इसी सनक के चलते बच्चों को पढ़ाया गया कि पाकिस्तान में दूसरे धर्म के लिए कोई जगह नहीं है। स्कूली किताबों में जगह-जगह आप को लिखा मिलेगा कि पाकिस्तान सिर्फ मुसलमानों का है। दुनिया पाकिस्तान और इस्लाम के खिलाफ साजिश कर रही है और मुसलमानो को काफिरों के खिलाफ जिहाद करना चाहिए।

अन्य धर्मों को मुस्लिम विरोधी बनाने का प्रयास

पाकिस्तान में जियाउल हक की सरकार आने के बाद इस्लामीकरण के नए-नए हथकंडे अपनाए गए। मसलन सरिया कानून पढ़ाने के लिए एक अलग से विभाग बनाया गया। यहां धार्मिक नेताओं को ट्रेनिंग भी दी जाने लगी।अयूब की ही सरकार में मदरसों को सरकारी फंड से सहायता प्रदान की जाने लगी। इनके समय धार्मिक दिवस पर बाजारे बंद की जाने लगी, रेडियो पर गाने बजाने बंद कर दिए गए इत्यादि आदि।

पाकिस्तानी किताबो में अन्य धर्मो के लोगों को मुस्लिम विरोधी बताने के हरसंभव कोशिश किया गया है। बलूच लोगो को असभ्य करार देते हुए उन्हें मारकाट करने वाली प्रजाति मात्र बताया गया है। बटवारे के समय की घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया है कि पाकिस्तान से भारत जाने वाली ट्रेनों की यात्रियों की हमलोगो ने काफी मदद की, लेकिन भारत से आने वाली ट्रेनों में लाशे भरकर आती थी। और यहां तक कहा गया है कि पाकिस्तान से भारत जाने वाली ट्रेनों में भी भारतीय मारकाट करते थे।

इन किताबों में इतिहास की शुरुआत 713 के मोहम्मद बिन कासिम को पहले पाकिस्तानी बताते हुए किया गया है इतिहास में एक ओर जहां बाबर को मुस्लिम का नेता बताया गया है वही अकबर को मुस्लिम विरोधी तथा जहांगीर को मुस्लिम का नेता बताया गया है। ऐसे में देखा जाए तो वैसे मुस्लिम नेता जो हिंदुओं के थोड़े भी पक्षधर थे उन्हें मुस्लिम विरोधी करार दिया गया है।।

डेली न्यूज मिरर के लिए ब्रजेश दुबे की रिपोर्ट