झंझारपुर लोकसभा चुनाव 2024: निर्दलीय प्रत्याशी बिगाड़ देंगे एनडीए और महागठबंधन का खेल!

कई दिग्गज नेता आजमाएंगे किस्मत, एनडीए और महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती

झंझारपुर लोकसभा चुनाव 2024: निर्दलीय प्रत्याशी बिगाड़ देंगे एनडीए और महागठबंधन का खेल!
प्रतीकात्मक फोटो

डेली न्यूज मिरर

मधुबनी (30 मार्च 2024)

स्पेशल रिपोर्ट: मयंक कुमार 

लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी बज गई है, सियासी गलियारों में हलचलें तेज है। अलग अलग लोकसभा सीटों पर राजनीतिक पार्टियां अपने सबसे मजबूत प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर रही है। ऐसे में आज हम चर्चा कर रहे हैं बिहार के झंझारपुर लोकसभा सीट को लेकर, आपको बता दें कि झंझारपुर लोकसभा सीट एनडीए गठबंधन में जेडीयू के खाते में गई है, वहीं महागठबंधन के खेमे में यह सीट राजद के पाले में है। जेडीयू ने झंझारपुर से मौजूदा सांसद रामप्रीत मंडल को फिर एकबार मैदान में उतारा है, वहीं राजद की तरफ से अबतक प्रत्याशी के नामों की घोषणा नहीं की गई है। इस सीट पर तृतीय चरण में मतदान होना है, यानी कि 07 मई को झंझारपुर लोकसभा सीट पर मतदान होना है।

झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र का सियासी एवं जातीय समीकरण

यदि झंझारपुर लोकसभा सीट के सियासी एवं जातीय समीकरण की बात करें तो इस सीट पर ब्राह्मण और अति पिछड़ा समुदाय के मतदाताओं की संख्या अधिक है। जेडीयू के मौजूदा सांसद रामप्रीत मंडल ने साल 2019 में इस सीट पर आरजेडी प्रत्याशी गुलाब यादव को 3 लाख से अधिक मतों से हराया था। एक आंकड़े के मुताबिक इस सीट पर 35 फीसदी मतदाता पिछड़े समुदाय से आते हैं और 15 फीसदी अकलियत समाज के मतदाता हैं। 20 फीसदी ब्राह्मण तो वहीं 20 फीसदी यादव मतदाता हैं। इसके बाद सभी जातियां 10 फीसदी में सिमटी हुई है, इस समीकरण को देखने के बाद लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां यहां से पिछड़े समुदाय से आनेवाले नेता को ही टिकट देती है और अबतक सबसे अधिक बार पिछड़े समुदाय के नेता को ही प्रत्याशी बनाया गया है।

निर्दलीय प्रत्याशी बिगाड़ सकते हैं राजनीतिक पार्टियों का खेल

दिलचस्प बात यह है कि इस बार इन प्रमुख राजनीतिक दलों को छोड़ दें तो कई दिग्गज प्रत्याशी हैं जो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना दमखम दिखाने की तैयारी में हैं। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो पूर्व एमएलसी सुमन महासेठ भी सियासी मैदान में दो-दो हाथ करने की तैयारी में हैं। महासेठ की पहचान जिले में एक मजबूत और प्रभावशाली नेता के रूप में है। सुमन महासेठ का लगभग सभी जातियों एवं वर्गों पर अच्छी पकड़ है और यदि वह मैदान में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतर जाते हैं तो निश्चित ही एनडीए और महागठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। सुमन महासेठ साल 2020 में वीआईपी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं, साथ ही उनका अपना एक मजबूत वोट बैंक माना जाता है। वहीं बिहार ग्राम रक्षा दल के प्रदेश अध्यक्ष राम प्रसाद राउत भी झंझारपुर के सियासी अखाड़े में उतरने की घोषणा कर चुके हैं। राउत निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना किस्मत आजमाएंगे, वहीं यदि राम प्रसाद राउत के जनाधार की बात करें तो निश्चित ही जयनगर, बासोपट्टी एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में रामप्रसाद राउत का व्यापक जनाधार है और इसका खामियाजा एनडीए और महागठबंधन को भुगतना पड़ सकता है।

मौजूदा सांसद के प्रति मतदाताओं में रोष

झंझारपुर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद एवं जेडीयू प्रत्याशी रामप्रीत मंडल को लेकर लोकसभा क्षेत्र के कई प्रखंडों में मतदाताओं में व्यापक रोष देखने को मिल रहा है। बीते पांच सालों में सांसद रामप्रीत मंडल द्वारा कोई भी विकास कार्य ना किए जाने एवं क्षेत्र से नदारद रहने के कारण मतदाता उनसे काफी नाराज हैं। लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत स्थित जयनगर एवं बासोपट्टी प्रखंड में मतदाता एवं पार्टी के कार्यकर्ता खुलकर रामप्रीत मंडल का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी का दबदबा रह सकता है। हालाकि राजद ने अबतक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, यह देखना भी दिलचस्प होगा कि राजद इस सीट किसे उतारती है।

झंझारपुर लोकसभा सीट का सियासी इतिहास

झंझारपुर लोकसभा सीट साल 1972 में अस्तित्व में आई और यहां हुए पहले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार जगन्नाथ मिश्र को जीत मिली। 1977 में इस सीट पर भारतीय लोकदल ने कब्जा जमाया और धनिक लाल मंडल सांसद चुने गए। 1980 में भी धनिक लाल मंडल ही चुनाव जीते लेकिन इस बार जनता पार्टी(एस) के टिकट पर चुनाव जीते। 1984 में कांग्रेस के टिकट पर गौरी शंकर राजहंस यहां से सांसद चुने गए। 1989 में जनता दल के टिकट पर देवेंद्र प्रसाद यादव चुनावी मैदान में उतरे और जीत हासिल करने में कामयाब रहे। इसके बाद 1991 और 1996 में भी देवेंद्र प्रसाद यादव ही चुनाव जीते। 1998 में यह सीट RJD के खाते में गई और सुरेंद्र प्रसाद यादव सांसद बने।

1999 में इस सीट पर एक बार फिर से देवेंद्र प्रसाद यादव ने वापसी की लेकिन इस बार JDU के टिकट पर चुनाव लड़े थे। 2004 में भी इस सीट पर उन्हीं का कब्जा रहा लेकिन इस बार RJD के टिकट पर चुनाव जीते। वहीं 2009 में जदयू के टिकट पर मंगनीलाल मंडल चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 2014 में पहली बार मोदी लहर में यह सीट बीजेपी के खाते में गई और बीरेंद्र कुमार चौधरी संसद पहुंचे और फिर 2019 में भी मोदी लहर में इस सीट पर जेडीयू के टिकट पर रामप्रीत मंडल ने जीत हासिल की। झंझारपुर लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की कुल 6 सीटें आती हैं जिनमें मधुबनी जिले की खजौली, बाबूबरही, राजनगर, झंझारपुर, फूलपरास और लौकहा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।।

लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि लोकसभा चुनाव 2024 के सियासी महासंग्राम में झंझारपुर लोकसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी राजनीतिक पार्टियों का खेल बिगाड़ सकते हैं।